चाणक्य नीति

 नमस्ते! विद्यार्थियों के लिए संस्कृत का एक अत्यंत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण श्लोक है जो उनके जीवन को सफलता की ओर ले जाने का मार्गदर्शन करता है। यह श्लोक चाणक्य नीति से लिया गया है:


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श्लोक:


काकचेष्टा, बकोध्यानं, श्वाननिद्रा तथैव च।

अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणम्।।


हिंदी में अनुवाद:


विद्यार्थी के पाँच लक्षण (गुण) होने चाहिए:


1. काक चेष्टा (कौए जैसा प्रयत्न): कौए की तरह सर्वत्र दृष्टि रखने वाला और किसी भी अवसर को पाने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना।

2. बक ध्यान (बगुला जैसा ध्यान): बगुले की तरह एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य (पढ़ाई) पर ध्यान केंद्रित करना।

3. श्वान निद्रा (कुत्ते जैसी नींद): कुत्ते की तरह हल्की और सतर्क नींद लेना (अर्थात, अत्यधिक सोने में समय न गँवाना)।

4. अल्पहारी (थोड़ा भोजन करने वाला): संतुलित और आवश्यकता से अधिक भोजन न करना, ताकि आलस्य न आए।

5. गृहत्यागी (घर का त्याग): मन से घर के सुख और मोह-माया का त्याग करके केवल विद्या प्राप्ति में लगे रहना।


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सफलता का मार्ग:


यह श्लोक विद्यार्थी को बताता है कि सफलता केवल पढ़ने से नहीं, बल्कि एक अनुशासित जीवनशैली अपनाने से मिलती है। जो विद्यार्थी इन पाँच गुणों को अपनाता है, वह न केवल शिक्षा में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।


यह श्लोक सदियों से विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

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